जबलपुर। नर्मदापुरम के बस संचालक मो इकबाल द्वारा हाई कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत करते हुए आर टी ए सचिव (RTO) नर्मदापुरम द्वारा अस्थाई परमिट के संबंध में पारित आदेश को चुनौती दी । याचिका कर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रजेश दुबे एवं अधिवक्ता सूरज प्रकाश अग्रवाल द्वारा पैरवी की गई। जिसकी सुनवाई माननीय न्यायाधीश जी एस अहलूवालिया की एकल पीठ में हुई ।सुनवाई के दौरान याचिकर्ता के अधिवक्ता ब्रजेश दुबे ने कोर्ट को बताया की अस्थाई परमिट जिला पंचायत की सदस्य की अनुशंसा पर दिया गया है जबकि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जनप्रतिनिधि या राजनैतिक व्यक्ति परमिट जारी करने अनुशंसा नहीं कर सकते इस संबंध में अधिवक्ता श्री दुबे ने माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंचम चंद विरुद्ध हिमाचल राज्य में पारित आदेश का हवाला दिया जिसमे मुख्यमंत्री की अनुशंसा में दिए गए परमिट को कोर्ट ने अवैधानिक माना था एवं मुख्यमंत्री के ऊपर एक लाख रुपए की कास्ट लगाई थी। श्री दुबे ने यह भी तर्क दिया की परमिट आदेश में परमिट 30 जून तक के लिए दिया गया था परन्तु परमिट 31 जुलाई तक जारी कर दिया गया । इस तरह अस्थाई परमिट जारी के करने में घोर अनियमितताएं की गई है। माननीय उच्च न्यायालय ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए, कोर्ट के समक्ष सम्पूर्ण रिकॉर्ड प्रस्तुत करने आदेश दिया परंतु जब कोर्ट द्वारा निर्धारित किए गए समय में रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हुआ, तब प्रकरण के तथ्यों को देखते हुए सचिव आर टी ए द्वारा पारित आदेश एवं अस्थाई अनुज्ञा पर स्थगन देते हुए आर टी ओ नर्मदापुरम पर 25000 हजार रुपए की कास्ट लगाई जिसे 22/07/24 तक न्यायालय में जमा किया जाना है एवं प्रकरण को 22 जुलाई को सुनवाई के लिए रखा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रजेश दुबे जबलपुर एवं अधिवक्ता सूरज प्रकाश अग्रवाल नर्मदापुरम द्वारा पैरवी की गई।
अधिवक्ता सूरज प्रकाश अग्रवाल
नर्मदापुरम
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